जब से मुस्कानों की मांग बढ़ी है,
मेरी खुशियां अहम् लिए खड़ी है,
हुआ आज सौदा गम से खुशी का,
अब आंखों में सावन की झड़ी है,.. प्रीति सुराना
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जब से मुस्कानों की मांग बढ़ी है,
मेरी खुशियां अहम् लिए खड़ी है,
हुआ आज सौदा गम से खुशी का,
अब आंखों में सावन की झड़ी है,.. प्रीति सुराना
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