Monday, 17 October 2016

सपनों को साकार बना लो

सच को तुम आधार बना लो।

सपनों को साकार बना लो।


जो जीवन में पाना चाहो,

उसका इक आकार बना लो।


साहस की नौका पर बैठो,

श्रम को तुम पतवार बना लो।


रोक सको खुद में मानवता,

नैतिकता की पार बना लो।


भीतर मत आ पाए अवगुण,

मन में ऐसा द्वार बना लो।


गुण अवगुण के फेरे छोड़ो,

समता जीवन सार बना लो।


नेह रहे जिसके कण कण में

ऐसा एक संसार बना लो,..प्रीति सुराना

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