जो दर्द परख ले दिल का मेरे ,
वो दिलदार नही मिल पाया,
धड़कन की लय को समझे ,
वो फनकार नही मिल पाया,
शब्द शब्द को रचते रचते, चाह रखी समझाने की,
सुर ताल का पता नहीं पर, कोशिश की खुद गाने की,
राग सुनाती साथ में जिसके, वो इकतार नहीं मिल पाया
धडकन की लय को समझे , वो फनकार नही मिल पाया,
जो दर्द परख ले दिल का मेरे , वो दिलदार नही मिल पाया,
फिर सोचा ये बेसुरा राग, दर्द भरा यहां सुनेगा कौन,
मन ही मन में सह कर पीड़ा, अधरों पर धारा तब मौन,
मेरी पीर का बोझ उठाता, वो हक़दार नहीं मिल पाया,
धड़कन की लय को समझे , वो फनकार नही मिल पाया,
जो दर्द परख ले दिल का मेरे , वो दिलदार नही मिल पाया,
खैर चलो अच्छा ही हुआ, मैं खुद ही मजबूत बनी,
लिखकर मन के भावों को, पीड़ा की रचनाकार बनी,
पीड़ा हर कर सुख दे देता, वो आधार नहीं मिल पाया,
धड़कन की लय को समझे , वो फनकार नही मिल पाया,
जो दर्द परख ले दिल का मेरे , वो दिलदार नही मिल पाया,... प्रीति सुराना
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