Wednesday 26 October 2016

तू मेरा और बस मेरा है,..

तू मेरा और बस मेरा है
बस ये कह दे गले लगाकर,..
तन मन की हर पीर भुला दूं
बस साथ तेरा मैं पाकर,..

सांसों को राहत मिलती है
बस तेरी सांसों से मिलकर,
खुशबू घुल जाती फिज़ा में
मिल जाए मुसकान जो खिलकर,
दे दे ख़ुशी ये मुझको लाकर
बस एक साथ तेरा मैं पाकर,..

तन मन की हर पीर भुला दूं,
बस ये कह दे गले लगाकर,...
तू मेरा और बस मेरा है,...

हाथ मेरा हाथों में लेकर
अहसासों से जीवन भर दे,
मुझमें खो जा मेरा होकर
और प्रीति को पावन कर दे,
धन्य मुझे कर जीवन में आकर
बस एक साथ तेरा मैं पाकर,..

तन मन की हर पीर भुला दूं,
बस ये कह दे गले लगाकर,...
तू मेरा और बस मेरा है,...

आधि व्याधि से लड़ते लड़ते
पीर बहुत सी सह ली है मैंने,
तू भी कह दे अपने मन की
अपने मन की कह दी है मैंने,
क्या तू खुश है मुझे अपनाकर
बस एक साथ तेरा मैं पाकर,..

तन मन की हर पीर भुला दूं,
बस ये कह दे गले लगाकर,...
तू मेरा और बस मेरा है,... प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment