माना
आस्तीन में पलने वाले सांपों के डर से
तुमने आधुनिकता के बहाने
बिना आस्तीन के कपडे पहनने शुरू कर दिए,..
और
तुम्हारी इसी आधुनिकता ने तुम्हे
भीड़ से अलग
सबसे आगे लाकर खड़ा कर दिया,..
पर
कहीं ऐसा तो नहीं
इसी भीड़ में तुम्हारे आसपास ही
कोई अज़गर पल रहा हो,..
सुना है
अजगर डसता नहीं
निगल लेता है
पूरा वजूद,..
और
विष को जितना समय लहू में घुलने में लगता है
उससे भी कम समय में अजगर के पेट का तेज़ाब
पूरे अस्तित्व को जलाकर रख देता है,..
सुनो
थोड़ा संभलकर रहना
सांप और अजगर ही विषैले नहीं हैं
जाने भीड़ में जाने कौन खंजर लिए चल रहा हो,..
वैसे भी
आधुनिक युग है
जिसमें चलन है आज कल
विश्वास के सरेआम क़त्ल हो जाने का,... प्रीति सुराना
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