चुपचुप बैठे बैठे गुमसुम हो जाती हूं,
मुझमे मैं कम ही रहती गुम हो जाती हूं।
पूजा की थाल सजे अक्षत चंदन रोली से,
मैं उस थाली में तब कुमकुम हो जाती हूं।
पूजा,अरदास कहो या फिर मासूम दुआ ,
ईश्वर का मैं हर बार हुकुम हो जाती हूं।
डाली डाली जब खिलती बागों में कलियां,
मैं सिर्फ पास तुम्हे सोच कुसुम हो जाती हूं।
'प्रीत' भरे सपने बुनने लगती हूं जब भी,
अकसर तब मैं धीरे धीरे तुम हो जाती हूं। ,...प्रीति सुराना
सच प्रभु में एकाकार होने का मतलब असीम ख़ुशी का खजाना मिल जाना है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर