Friday, 3 June 2016

धुंधले सपने

भीगी पलकों में धुंधले सपने,
छोड़ गए हमको सब अपने,
धन वैभव या आराम नहीं हैं,
ऐसे जीना आसान नहीं है।,..प्रीति सुराना

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