Saturday, 4 June 2016

वक्त बिखर जायेगा

हम साथ रहें तो चलता रहेगा
सब अपनी गति से,
हम रुके तो जीवन का प्रवाह भी
नदी सा ठहर जाएगा,

रुका जो प्रवाह तो सोचो
बढ़ जाएगी मलिनता मन की,
और रिश्तों के सफ़र पर
अनमनापन कहर ढाएगा,

हो सके तो रोक लो तुम
ये ठहरना-बिगड़ना ,
हम दोनों के दरमियां
प्यार का लम्हा बिछड़ जाएगा,

लगता है वक्त ठहर सा गया है
लम्हा कहीं कोई छूट गया है ,
तुम आ जाओ और संभालो
वरना वक्त बिखर जायेगा ,....प्रीति सुराना

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