सुन रे पीपल !
तेरे पत्ते शोर मचाते है,जब वो आते हैं,..
पहला पहला प्यार हमारा हम डर जाते हैं,..
सूने पनघट पर देख रहे हैं
रस्ता अपने साजन का,
ये तनहाई उसपर मन में
उनकी ही यादों का डेरा,
जिद पर उनकी इक तो उनसे मिलने आते है,..
पहला पहला प्यार हमारा हम डर जाते हैं,..
सुन रे पीपल !
तेरे पत्ते शोर मचाते हैं,जब वो आते हैं,..
छुप छुप कर सखियों से अपनी
मिलने आना यूं प्रियतम से,
तुमको क्या मालूम नहीं है
प्रेम छुपाना व्याकुल मनसे,
है कितना मुश्किल ये लेकिन हम कर जाते हैं,..
पहला पहला प्यार हमारा हम डर जाते हैं,..
सुन रे पीपल !
तेरे पत्ते शोर मचाते हैं,जब वो आते हैं,..
चोरी चोरी प्रीत निभाना
हाल जिया का रोज छुपाना,
ये आदत हममे न कभी थी
बात बात में बात बनाना,
लेकिन प्रेमरोग में हम ये सब कर जाते हैं,...
पहला पहला प्यार हमारा हम डर जाते हैं,...
सुन रे पीपल !
तेरे पत्ते शोर मचाते हैं जब वो आते हैं,...
तेरे पीछे छुपकर अपने
प्रिय को कितना तड़पाते हैं,
तेरे साये में हम बैठे
कितने सपने बुन जाते हैं,
तू देगा मौन गवाही यकीन कर जाते हैं,...
पहला पहला प्यार हमारा हम डर जाते हैं,...
सुन रे पीपल !
तेरे पत्ते शोर मचाते हैं जब वो आते हैं ,....प्रीति सुराना
शब्द चयन में हल्के बदलाव से कविता/ गीत की लय और शोभा में चार चाँद लग सकते हैं.
ReplyDeleteबहुत अच्छे उद्गार... व्यक्त हुए.
पीपल पर इतनी सुन्दर कविता ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ....