Thursday, 16 June 2016

नाम मेरा 'प्रीति' है

सुनो!
क्या कहूं
जब पूछते हो मुझसे
मेरे नाम का अर्थ,
मुझे लगता है
मेरे बिना है जीना व्यर्थ,

मुझमे ही समाहित
जग का सृजन,
संगीत की तरंग,
जीवन की उमंग,
मन का आंनद,

मैं रहती हूं हर मन में
कहीं अटल कहीं तरल,
कहीं मुश्किल कहीं सरल,
कहीं बहती हूं अविरल
हर रूप में रहती हूं निश्छल,

मुझसे ही निर्मित होता है
दुनिया का आज और कल,
जाने क्यूं फिर भी
किया जाता है
मुझसे ही छल,

समय से फरियाद मेरी
रहूं हमेशा यूं ही निर्मल,
अलग मेरी रीति है,
पसंद न्याय नीति है,
प्रीत बाटूं दुनिया में,

नाम मेरा 'प्रीति' है,... प्रीति सुराना

3 comments:

  1. बहुत सुन्‍दर भावों को शब्‍दों में समेट कर रोचक शैली में प्रस्‍तुत करने का आपका ये अंदाज बहुत अच्‍छा लगा,

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  2. वाह बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  3. Aao Pyaar do mujhe, karo saakaar apna naam ,

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