जहर दिल में यूं मत घोला कीजिए,
बात चुभ जाए वो मत बोला कीजिए।
लोग तो सुनते हैं सिर्फ बातें सही,
बात अपनी पहले तोला कीजिये।
यूं दुखाया है दिल अपनों का कभी,
गांठ लग जाये तो खोला कीजिए।
जो नहीं रह सकते मेरे साथ फिर,
पास गैरों के मत डोला कीजिये।
है अंधेरी यूं भी राहें 'प्रीत' में,
और स्याह रंग न यूं ढोला कीजिये। ,...प्रीति सुराना
एक एक शब्द रग में समाता हुआ..!!
ReplyDelete