Thursday, 9 June 2016

जाने कैसे वो लौटेगा


तारे खोये चंदा खोया,
सारा जहां सपनों में खोया,
जाने वो कब आएगा,
भीड़ में जो तनहा खोया।

बादल रोया मौसम रोया,
जाने मन कितनो का रोया।
जाने कैसे जानेंगे उसको,
सबसे छुपकर था जो रोया।

हवा ठहरी गगन ठहरा,
कभी न कभी हर कोई ठहरा।
एक वक़्त ही ऐसा था,
जो कंहीं कभी भी न ठहरा। 

राही लौटे,कारवां लौटा,
घर अपने हर कोई लौटा,
जाने कैसे लौटेगा वो,
साथ गया पर साथ न लौटा। ,....प्रीति सुराना

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