Thursday 9 June 2016

स्वीकार करते हैं

यही सच था यही सच है तुम्ही से प्यार करते हैं,
मिलो इक बार फिर से आज हम इकरार करते हैं।

मिला जबसे तुम्हारा साथ खुशियां ही मिली हमको,
कभी भी हम कहां इस बात से इनकार करते हैं।

तुम्हे माना शिकायत है शिकायत हम मिटा देंगे,
सुनो बैठो जरा सा पास हम इजहार करते हैं।

हमारी हर ख़ुशी की अब वजह तो बस तुम्ही तुम हो
कहां मिलते यहां अब लोग जो उपकार करते है।

तुम्हारी 'प्रीत' ही पूजा नहीं है काम अब दूजा,
चलो ये हम सभी के सामने स्वीकार करते हैं। ,..प्रीति सुराना

1222 1222 1222 1222
काफ़िया-आर
रदीफ़ - करते हैं।

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