Sunday 24 April 2016

झुलसता फूल

1.
सुलग रही
फूलों की फसलें
सूरज
कुछ
नाराज सा है।

2.
झुलसे
सपने
रूठे
अपने
क्या मोल
अपनों बिन
सपनों का???

3.
एक कली
खुद जली
तब दर्द पिघला
मासूम का।

4.
औरों के घर
अंधेरों में न रहें
ये सोचकर
जलते रहे
वो फूल
जो रात में खिलते थे।

5.
एक शोला
मन के भीतर
बदी को
जलाने को तत्पर
मगर विवश
बाहर पहले ही
आग नेकी पर लगी है।

6.
नाजुक सी
एक कली
मैं विरहन,
जल रहा
प्रतिपल
तनमन।

प्रीति सुराना

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