आज़ाद था नाम और,आज़ादी एक लक्ष्य था,
कांपते शत्रु जिससे , ऐसा जोश था खरा ।
अत्याचारी अंग्रेजों के,कानों में बम फोड़े थे,
लाला जी की हत्या हुई ,वो ही रोष था भरा ।
क्रांतिकारियों के संग,काकोरी अंजाम दिया,
लूट खजाना गोरों का, शीश दोष था धरा।
मां भारती पे हंसके,जान अपनी वार दी,
आज़ाद ने देश हेतु, रण घोष था करा ।
प्रीति सुराना
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