बहर :- 22 22 22 22
काफिया :- आना
रदीफ़ :- मत
अब तू कुछ भी समझाना मत
बात नई कुछ बतलाना मत
जानू मैं तेरी बातें सब,
तू बातों से बहलाना मत,..
बातों ही बातों में अब तू,
प्यार कभी यूं जतलाना मत,..
मीठी मीठी बातें करके,
दिल मेरा तू धड़काना मत,..
दिल में रहते अरमाँ लाखों,
तू अब उनको बहकाना मत,..
रोना मुझको कभी नहीं अब,
अश्क मेरे तू छलकाना मत,..
दर्द मेरे तू सभी जानता
ये लोगों में झलकाना मत,..
दूर कभीं जाने की वजहें
तू अब मुझको बतलाना मत,..
तुझको खो देने के डर से,
तू अब मुझको दहलाना मत,..
बिखर गये ख्वाब पुराने,
ख्वाब नए तू दिखलाना मत,..
ख्वाब नये गर सजें कभी तो
अब उनको तू बिखराना मत,...
नहीं चाहती और मैं कुछ भी
प्रीति मुझ अब सिखलाना मत,..
प्रीति सुराना
0 comments:
Post a Comment