अस्त व्यस्त है समस्त
सुख सारे हुए ध्वस्त
फंसा हुआ हर कोई
समय के जाल में,..
नई पीढ़ी जाने नही
मोल किसी रीत का भी
सभ्यता ने रंगारंग
नई चाल ढाल में,...
अमन तो भूले सभी
नित नए कांड करे,
हर कोई मिले यहां
नए ही बवाल में,..
नीति रीति रंग ढंग
फिर से हो अनुकूल,
ऐसा प्रण करे हम
आज नए साल में,...प्रीति सुराना
सही कहा आपने
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