Friday 8 April 2016

आज नए साल में

अस्त व्यस्त है समस्त
       सुख सारे हुए ध्वस्त
फंसा हुआ हर कोई
       समय के जाल में,..

नई पीढ़ी जाने नही
        मोल किसी रीत का भी
सभ्यता ने रंगारंग
      नई चाल ढाल में,...

अमन तो भूले सभी
      नित नए कांड करे,
हर कोई मिले यहां
       नए ही बवाल में,..

नीति रीति रंग ढंग
      फिर से हो अनुकूल,
ऐसा प्रण करे हम
      आज नए साल में,...प्रीति सुराना

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