तू जो साथ रहेगा तो मैं जी लूंगी,
आंसू आंखों के सारे मैं पी लूंगी।
तनहाई तो खूब सही है जीवन में,
अब तेरे संग सांसें राहत की लूंगी।
ऐसे तो है रोज कुरेदा लोगों ने,
तेरी खातिर घावों को मैं सी लूंगी।
दुनिया ने डाले थे ताले खुशियों पे,
तुझसे मैं उन खुशियों की चाबी लूंगी,
छीन लिए थे वक्त ने जो पल कल हमसे,
पल वो सारे वापस वक्त से ही लूंगी।
तोड़ नहीं सकती मैं अपनी सीमाएं
जो भी करुंगी अपनों की हामी लूंगी
जो दिल ने खोई है यूं ही उलझन में,
'प्रीत' वही मैं वापस तुझसे भी लूंगी ,...प्रीति सुराना
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