'गीत लिखूं'
मेरे दिल में इक चाहत है,आज नया सा गीत लिखूं।
मुखड़े में लिख नाम तुम्हारा, बन्द-बन्द मनमीत लिखूं।।
रोज गली में छुपकर आना,मेरी एक झलक की खातिर,
देख तुझे मेरा छुप जाना,तुझको तकना धीरे से फिर,
आखिर नजरों के मिलने को, हार लिखूं या जीत लिखूं,
मुखड़े में लिख नाम तुम्हारा, बन्द-बन्द मनमीत लिखूं।।
नजरों के यूंही मिलने से,दिल ने दिल से नाता जोड़ा,
लाख मनाया मैंने दिल को, फिर भी सीमाओं को तोड़ा,
दिल से दिल ही जोड़ लिए तो, प्रीति भरी यह रीत लिखूं,
मुखड़े में लिख नाम तुम्हारा,बन्द-बन्द मनमीत लिखूं।।
प्रीति सुराना
जय मां हाटेशवरी...
ReplyDeleteआपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये दिनांक 24/04/2016 को आप की इस रचना का लिंक होगा...
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर...
आप भी आयेगा....
धन्यवाद...
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...