Thursday 25 February 2016

मानवता (वर्णपिरामिड)

मानव में मानवता प्रथम अनिवार्य गुण

रे
मनु
धधक
अनल सा
जला स्वदोष
बन जा निर्मल
यज्ञ की अग्नि सम।

रे
मनु
सरल
तरल सा
बह जल सा
बहा अवगुण
नदी के जल सम।

रे
मनु
बिखर
पवन सा
बिखेर गंध
पावन पुनीत
सुवासित पुष्प सम।

रे
मनु
बन जा
अविचल
सहनशील
सह पीर सारी
तू वसुंधरा सम।

रे
मनु
विनम्र
बड़ा ऊंचा
विस्तृत बन
दे छांव सबको
नीलगगन सम।

रे
मनु
निर्मित
समाहित
अस्तित्व तेरा
पंचतत्व से ही
मिले पंचतत्व में। ,..प्रीति सुराना

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