Thursday, 25 February 2016

भ्रष्टाचार (वर्णपिरामिड)

'भ्रष्टाचार निगलता सदाचार को'

जो
मिली
टॉफियां
रिश्वत में
बचपन में
अभिभावकों से
भ्रष्टाचार का बीज।

थी
जल्दी
पाने की
सफलता
तो छुपकर
किया भ्रष्टाचार
अब विरोधी बने।

है
गोल
दुनिया
यहां सब
गोलमाल है
जो भ्रष्टाचारी है
वही मालामाल है।

वो
सारे
गरीब
लड़ रहे
भूखमरी से
एक भ्रष्ट नेता
चुनाव तभी जीता।

ये
कैसी
अजीब
लाइलाज़
महामारी है,
देश में सुना है
फैली भ्रष्टाचारी है।

तू
मत
हंसना
सुनकर
भ्रष्टों की टोली
निकली मुल्क में
भ्रष्टाचार हटाने।

था
देश
का हाल
खुशहाल
हुई है अब
सोन चिरैया को
भ्रष्टाचार की कैद । ,...प्रीति सुराना

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