Tuesday, 23 February 2016

मन का मौसम

ढलती ढलती हुई सांझ सा आज इस मन का मौसम है,
उतरा उतरा चेहरा है और मेरी सांसे भी मद्धम मद्धम है,
टूटे सपनों की पीड़ा का जीवन पे असर अब दिखता है,
बिखरा बिखरा सब कुछ है आंखें भी मेरी नम नम हैं,,...प्रीति सुराना

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