ढलती ढलती हुई सांझ सा आज इस मन का मौसम है,
उतरा उतरा चेहरा है और मेरी सांसे भी मद्धम मद्धम है,
टूटे सपनों की पीड़ा का जीवन पे असर अब दिखता है,
बिखरा बिखरा सब कुछ है आंखें भी मेरी नम नम हैं,,...प्रीति सुराना
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ढलती ढलती हुई सांझ सा आज इस मन का मौसम है,
उतरा उतरा चेहरा है और मेरी सांसे भी मद्धम मद्धम है,
टूटे सपनों की पीड़ा का जीवन पे असर अब दिखता है,
बिखरा बिखरा सब कुछ है आंखें भी मेरी नम नम हैं,,...प्रीति सुराना
बहुत सुंदर
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