Thursday 25 February 2016

कन्याभ्रूण हत्या (वर्णपिरामिड)

'बेटी बोझ नहीं है'

ये
कन्या
रचती
स्वांश से
नव जीवन
रक्षा अनुबंध
सतत सृष्टि हेतु।

जो
भ्रूण
पनपा
जनक से
मां की कोख में
क्यूं परीक्षित हो
प्रेम का प्रतीक जो।

जो
बीज
रोपित
भूगर्भ में
स्वीकृत सदा
दाम कम-ज्यादा
कुकृत्य भ्रूणहत्या।

भू
स्त्री है
धिक्कार
पाखंड को
भूमि आधार
भगिनी है बोझ
पर भूमिजा पूज्य।

जो
सभ्य
जानते
सुतासुत
सम संतति
पालक जनते
वृद्धाश्रम न बनते ।

स्त्री
बोझ
अगर
धरा पर
जो कभी मांग
कोख का क़र्ज़
निभा सकोगे फर्ज़।

जो
माता
कोख में
आंवल से
सींचे देकर
उदर का अन्न
न सोचे सुतासुत। ,... प्रीति सुराना

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