Wednesday, 27 January 2016

असमंजस : चंद बातें हायकू में

पीड़ा दायक ;
आंखों में सूखे आसूं
चुभते हुए ।

अश्रु बरसे ;
मानो बरसा मेघ
बिन सावन ।

घना कुहरा;
मानो सपनो पर
लगा पहरा।

सर्द मौसम ;
सर्द होते रिश्तों से
भावनाशून्य।

असमंजस;
व्यथा अंतर्मन की
किससे कहूं,.. प्रीति सुराना

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