पीड़ा दायक ;
आंखों में सूखे आसूं
चुभते हुए ।
अश्रु बरसे ;
मानो बरसा मेघ
बिन सावन ।
घना कुहरा;
मानो सपनो पर
लगा पहरा।
सर्द मौसम ;
सर्द होते रिश्तों से
भावनाशून्य।
असमंजस;
व्यथा अंतर्मन की
किससे कहूं,.. प्रीति सुराना
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पीड़ा दायक ;
आंखों में सूखे आसूं
चुभते हुए ।
अश्रु बरसे ;
मानो बरसा मेघ
बिन सावन ।
घना कुहरा;
मानो सपनो पर
लगा पहरा।
सर्द मौसम ;
सर्द होते रिश्तों से
भावनाशून्य।
असमंजस;
व्यथा अंतर्मन की
किससे कहूं,.. प्रीति सुराना
सुन्दर, अर्थपूर्ण...
ReplyDeleteआभार आपका
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