Wednesday, 6 January 2016

'केवल संवाद'

सुनो! कैसे हो तुम??
मिलते ही ये सवाल
हर कोई
एक दूसरे से करता है,..

पर सच कहकर देखो कभी
'हाल अच्छे नहीं हैं'
तो पलट कर ये नहीं कहता
'मैं हूं ना यार'

यही सच जिंदगी का कडुवा सा,..
जो किसी ने कह भी दिया
'मैं हूं ना'
तो आसपास नजरें घुमाकर जरूर देखना,...

कोई न कोई देख-सुन रहा होगा
जिसकी नज़र में नायक बनने के लिए
कहे गए होंगे ये शब्द,
जो दृश्य और दर्शक बदलते ही काफूर हो जाएंगे,..

सच !!

जिंदगी एक चलचित्र ही बनकर रह गई है आजकल,..
असल जीवन में
चित्रपट के बंद होते ही
केवल संवाद ही शेष रह जाते है,.. है ना!!! ,... प्रीति सुराना

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