Friday, 20 November 2015

मां पापा

पापा आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं

मैंने महसूस किया
मेरी ज़मीन मां है,
पर बीज आपने रोपा,,
मेरा अंकुरण मां से हुआ,
पर अंकुर के फूटने की पीड़ा की अनभूति आपने भी की,..
मेरे अंकुरण के बाद जड़ें मां ने सम्हाली,
पर स्तंभ बनकर आप ने दुनिया से रूबरू करवाया,..
मेरे जीवन को भोजन का जरिया मां बनी,
पर भोजन का साधन आपसे ही मिला,..
मुझमें
हरीतिमा बनाए रखने
और
जीवन के हर मौसम और परिस्थिति
यानि
वर्षा ठंड और धूप का
सुख और दुःख का
सामना करने की शिक्षा मां ने दी,
पर हौसला आपने दिया,..
और जब आप दोनों के
सानिध्य और संरक्षण के फलस्वरुप
मैं पल्लवित होकर
फूलित फलित हो गई
और जब मैं स्वयं
किसी बीज को जन्म देकर
रोपण और अंकुरण के योग्य बनी
तो जाना
जिस ज़मीन पर मुझे आपने जन्म दिया
और मैं फली फूली
उससे अलग होकर ही
मुझे नई संतति को जन्म देना है,...

तभी से विस्मित हूं!!
ये कैसी नियति है???

खैर
नियति ने नियमों का निर्धारण
बहुत सोच समझ कर किया है,..
शायद संसार को सतत रखने के लिए जन्ममरण और जीवन का यही स्वरुप
तय किया हो नियती ने,...
पर
आज मैं
अपने अस्तित्व को महसूस कर पाने के लिए कृतज्ञ हूं
मां और पापा आपके प्रति,...
नमन आप दोनों को,....प्रीति सुराना

1 comment: