तुम मुझे 'मेरी जान' मत कहा करो,.
क्यूंकि
जिसे हम चाहते हैं
या अपना मानते हैं
उन्हें जरुरत पड़ने पर उनके लिए
'जान' एक पल में दी जा सकती है,..
लेकिन
जो तुम्हे चाहता हो
वो हमेशा
जिंदगी भर
तुम्हारे साथ रहना चाहता है,..
तुमनें
कर्तव्य की खातिर
अगर जान दे भी दी
तो भी जब तक जिंदगी है
तब तक प्रेम बरक़रार रखना,...
तुम्हारा साथ
मुझे
हमेशा के लिए चाहिए,
क्यूंकि
तुमसे मुझे प्रेम है,...
सुनो!!
तुम मुझे 'मेरी जिंदगी' कहो ना!!!..प्रीति सुराना
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19-11-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2165 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद