हज़ार परेशानियों में भी
असहनीय पीड़ा में भी
गहनतम निराशा के पलों में भी
अति नकारात्मकता में भी
जब जीवन में
अंधकार ही अंधकार महसूस हो
तब
उम्मीद की किरण नहीं
बल्कि प्रकाशपुंज सा लगता है
तुम्हारा हाथों में हाथ लेकर
सिर्फ इतना कहना
"मैं तुम्हारे साथ हूं ना"
सुनो
मुझे जीवंत रखने के लिए
"मैं तुम्हारे साथ हूं ना"
कहते हुए
मेरे साथ बने रहना ऐसे ही
मेरी उम्मीदों का स्रोत
क्यूंकि
यही प्रकाशपुंज
मेरी छोटी सी दुनिया को
जीवित रखता है,..प्रीति सुराना
every dark cloud has silver shine!
ReplyDeleteसहमत हूं
Deleteसहमत हूं
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08 - 10 - 2015 को चर्चा मंच पर
ReplyDeleteचर्चा - 2123 में दिया जाएगा
धन्यवाद
thanks
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