Monday 12 October 2015

पहले,..

बाहों में भर लो मुझको
जीवन की सांझ के ढलने से पहले,.
भर लेने दो खुशबू सांसों में
मेरी सांसों के थमने से पहले,.
माना मालूम नहीं है ये भी
कब सांस थमे कब सांझ ढले,..
बस धड़कन अपनी सुन लेने दो
मेरी धड़कन के रुकने से पहले,.. ..प्रीति सुराना

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