Monday 12 October 2015

रोका क्यूं??

जब टूट रही थी तब जोड़ा क्यूं?
जब बिखर रही थी तब समेटा क्यूं? जब वक्त नहीं था कि संभालो मुझको,
जब जा रही थी तब मुझे रोका क्यूं??
                             ,..प्रीति सुराना

0 comments:

Post a Comment