Thursday, 15 October 2015

ज़ायका दर्द का

मैंने पिए हैं दर्द हर घूंट में उम्र भर,.
ज़ायका सिर्फ दर्द का ही जानती हूं मैं
जहर से जहर की तरह दर्द से दर्द कटते हैं
दर्द को ही हर दर्द की दवा मानती हूं मैं
तुम बार बार खुशियों की तश्तरी
यूं न बढ़ाया करो मेरी तरफ
तिल तिल कर मरना मुझसे नहीं होगा खुशियों होती है मीठा ज़हर जानती हूं मैं,..प्रीति सुराना

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