Tuesday, 13 October 2015

मैं चलूं,..

वक्त हो चला है अब चलूं मैं यहां से,
छोटे से इस सुंदर और प्यारे जहां से,
जो मिला मान और स्नेह आप सब से,
वो चुकाने का सामर्थ्य लाऊं मैं कहां से?
                     प्रीति सुराना

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