मैंने
उसपे यकीन किया था,..
क्या हुआ
जो उसने तोड़ दिया,..?
पर
गलती उसकी नहीं थी।।।।
ये तो मैं
बरसों से जानती थी,..
उसे बचपन से
शौक रहा है,..
खिलौनों से खेलने से ज्यादा
खिलौनों को तोड़ने का,..
शायद
उसने
गलती से
मेरी भावनाओं को
"खिलौना"
समझ लिया हो,...प्रीति सुराना
उम्दा रचना
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