नागपुर में बच्चों द्वारा प्रस्तुत एक नाटक "खोलो मोक्ष का द्वार" के लिखी कुछ पंक्तियां :-
5)
मनुष्य गति सर्वोत्तम
मिलती नहीं आसानी से
खोना नहीं जो पा लिया
थोड़ी सी मनमानी से,..
देव बनना आसान नहीं
पुण्य कमाने पड़ते हैं
संचित करके पुण्यों को
पहले पाप खपाने पड़ते हैं,..
नरक गति की यातना
सहना इतना आसान नहीं
पाप इतने हो जाते हैं जीव से
रहता पुण्यों का भान नहीं,..
तिर्यंच गति के दुःख सहना
कर्मों की है क्रूर विडम्बना
मूक प्राणी बनकर जीना
और प्रतिकूलताओं को सहना,..
मनुष्य देव तिर्यंच या नरक
कर्मों का फल है ये गतियां चार
कर्म फलों से मुक्ति होती जब
तब खुलता है मोक्ष का द्वार,...प्रीति सुराना
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