Saturday, 19 September 2015

गुमसुम सी खोई-खोई

कितनी रातों से ना जागी ना सोई
जाने किस बात पर मैं इतना रोई
पाए बिना ही खो देने के एहसास से
अकसर रहूं गुमसुम सी खोई-खोई,...प्रीति सुराना

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