Monday 24 August 2015

उम्मीदों का चिराग


सुनो!!
नाउम्मीदी के एक लम्हे में
यूं लगा
तुम्हारा साथ मुझे
मानो
मेरे दिल की धड़कन से मुझमें हो तुम,..
मेरी सांसों की सरगम से मुझमें हो तुम,..
अगर मेरे नसीब में अंधेरा ही लिखा है,
यकीनन मेरी उम्मीदों का चिराग हो तुम,..
अब
कभी मत पूछना
ये सवाल मुझसे
मैं क्यों करती हूं
तुमसे प्यार,... प्रीति सुराना

2 comments:

  1. जब तक प्यार जिंदा हैं तब तक यह सवाल भी जिंदा रहेंगा ही....
    सुन्दर शब्द रचना
    http://savanxxx.blogspot.in

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