Thursday, 30 July 2015

टुकड़ों के सिवा,...


ख़्वाब दर ख़्वाब तोड़ते रहे
वो "मेरा मन"
कुछ भी नहीं था मुझमें
टुकड़ों के सिवा,....प्रीति सुराना

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