Monday 20 July 2015

अवगत

प्रियतमा अपने प्रियतम की रूठी हूं मैं मान से,..
मनाएंगे नहीं मुझे वो अड़े हुए  अभिमान से,.
बजा रहे मुरली अपनी मन मेरा मोहने को,..
अवगत हैं मोहन मेरे मुरली में बसे प्राण से,..प्रीति सुराना

1 comment:

  1. वाह...बहुत उम्दा प्रस्तुति..

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