प्रियतमा अपने प्रियतम की रूठी हूं मैं मान से,..
मनाएंगे नहीं मुझे वो अड़े हुए अभिमान से,.
बजा रहे मुरली अपनी मन मेरा मोहने को,..
अवगत हैं मोहन मेरे मुरली में बसे प्राण से,..प्रीति सुराना
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प्रियतमा अपने प्रियतम की रूठी हूं मैं मान से,..
मनाएंगे नहीं मुझे वो अड़े हुए अभिमान से,.
बजा रहे मुरली अपनी मन मेरा मोहने को,..
अवगत हैं मोहन मेरे मुरली में बसे प्राण से,..प्रीति सुराना
वाह...बहुत उम्दा प्रस्तुति..
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