सुनो
तुम बार बार
न रोने की
कसमें मत दिया करो,..
अगर तुम्हारे सामने भी
सिर्फ हंसना ही पड़े,..
तो मैं अपना असली चेहरा
ही भूल जाउंगी...
और फिर ये भी तो सोचो
लोग मेरी मुस्कराहट देखकर
हाथ मिलाते हैं मुझसे,..
मैं जीत लेती हूं
हर परीक्षा
इसी मुस्कराहट के सहारे,..
मैं बढ़ पाती हूं
इसी मुस्कराहट के सहारे
अंधेरे से रौशनी की तरफ,..
हार जाते हैं मेरे सारे दर्द
इन्ही मुस्कुराहटों के कारण,..
और जानते हो
इन मुस्कुराहटों का राज
वो आंसू ही तो है
जो मैं अकसर
तुम्हारे कांधे पर सिर रखकर
बहाया करती हूं,..
और तभी मिल पाती हूं
दुनिया से उस मुस्कुराहट के साथ
जो तुम्हे भी मेरे चेहरे पर अच्छी लगती है
और हां
एक सच ये भी तो है
कि मेरी मुस्कराहट
तुम्हारे लिए भी जरुरी है
क्योंकि तुम
मेरी एक मुस्कान के लिए
कुछ भी करने का हौसला रखते हो
और यही हौसला
तुम्हारी सफलता का राज भी है,..
आज
वादा करो
रो लेने दोगे
मुझे जी भरकर
अपने पहलू में आकर
क्योंकि मुझे जीना है
सिर्फ तुम्हारे लिए,...प्रीति सुराना
आपकी इस पोस्ट को शनिवार, ११ जुलाई, २०१५ की बुलेटिन - "पहला प्यार - ज़िन्दगी में कितना ख़ास" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...
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