गज़ल में शेर होते है ये मैंने आज ही जाना,
गज़ल में बहर होती है ये मैंने आज ही जाना,...
अभी तक ये न था जाना बनती है ये ग़ज़ल कैसे,
रदीफ़ों को सजाना था ये मैंने आज ही जाना,...
समझती थी यही अब तक गम कहना भी गजल ही है,
मिलाने काफिये भी हैं ये मैंने आज ही जाना,..
भले ना बात हो पूरी पर नियम तो निभाने हैं,
मतला और मक़ता भी है ये मैंने आज ही जाना,..
चलो कुछ तो नया सीखा इस लिखने या लिखाने में,
"प्रीति" आसां नही लिखना ये मैंने आज ही जाना,....प्रीति सुराना
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