सच
मैं तुमसे मिलना नही चाहती,...
क्योंकि
मैंने कहीं पढ़ा है,
चीजों और रिश्तों की अहमियत मिलने से पहले,
और खोने के बाद सबसे ज्यादा होती है,..
मैं डरती हूं,
तुमसे मिलकर बिछड़ने से,..
तुम्हे पाकर खोने से,..
तुम्हे पाने के खुशी के बाद खोने के दर्द से,..
क्यूंकि
नही आता मुझे आज में जीना,..
नही है मुझमें
कुछ पाकर खोने का हौसला,...
सच कहूं
मैं नहीं कर पाऊंगी
बीते हुए कल के सपनों
और आने वाले कल के आंसुओं के बीच संतुलन,..
सुनो
हम कभी नहीं मिलेंगे
क्यूंकि परिस्थियों के चलते
मिलकर हमेशा साथ रहना मुमकिन नहीं है
पर
हम साथ रहेंगे
एक ही दुनिया में
आसमान पर चांद और सूरज की तरह,..
जानती हूं हम दोनो के लिए,..
मुश्किल है एक दूसरे से मिले बिना जीना,
पर नामुमकिन होगा,..
एक दूसरे से बिछड़कर जीना,..
वैसे आजकल
ऐसी समस्याओं का
सुन्दर सरल उपाय प्रचलित है,...
"आत्महत्या"
पर सुनो!!!!
हम इतने हिम्मतवाले भी तो नहीं है
जो ऐसा कायरतापूर्ण कदम उठाकर
पलायनवादी कहलाएं और प्रेम को कलंकित करें,.....है ना????,.............प्रीति सुराना
मैं तुमसे मिलना नही चाहती,...
क्योंकि
मैंने कहीं पढ़ा है,
चीजों और रिश्तों की अहमियत मिलने से पहले,
और खोने के बाद सबसे ज्यादा होती है,..
मैं डरती हूं,
तुमसे मिलकर बिछड़ने से,..
तुम्हे पाकर खोने से,..
तुम्हे पाने के खुशी के बाद खोने के दर्द से,..
क्यूंकि
नही आता मुझे आज में जीना,..
नही है मुझमें
कुछ पाकर खोने का हौसला,...
सच कहूं
मैं नहीं कर पाऊंगी
बीते हुए कल के सपनों
और आने वाले कल के आंसुओं के बीच संतुलन,..
सुनो
हम कभी नहीं मिलेंगे
क्यूंकि परिस्थियों के चलते
मिलकर हमेशा साथ रहना मुमकिन नहीं है
पर
हम साथ रहेंगे
एक ही दुनिया में
आसमान पर चांद और सूरज की तरह,..
जानती हूं हम दोनो के लिए,..
मुश्किल है एक दूसरे से मिले बिना जीना,
पर नामुमकिन होगा,..
एक दूसरे से बिछड़कर जीना,..
वैसे आजकल
ऐसी समस्याओं का
सुन्दर सरल उपाय प्रचलित है,...
"आत्महत्या"
पर सुनो!!!!
हम इतने हिम्मतवाले भी तो नहीं है
जो ऐसा कायरतापूर्ण कदम उठाकर
पलायनवादी कहलाएं और प्रेम को कलंकित करें,.....है ना????,.............प्रीति सुराना
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