Saturday, 12 July 2014

क्यूंकि मैं चांदनी हूं,..

सुनो सितारों
कुछ देर तो तनहा छोड़ दो
मेरे चांद को,..

बिताना चाहती हूं
कुछ वक्त मैं 
अपने चांद के साथ,..

माना 
तुम रौशन हो
अपनी ही रौशनी से,..

पर मेरा वज़ूद
सिर्फ चांद से है
क्यूंकि मैं चांदनी हूं,..

सितारों की भीड़ से 
कुछ पल चुरा लूं 
मैं अपने चांद को,...??

इतना हक तो बनता है ना,..
मेरा 
अपने चांद पर,...????????,....प्रीति सुराना

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