Sunday, 29 December 2013

मानवता की सार्थकता (जन्मदिन की बधाई)

हां!!
देनी है मुझे बधाई आपको
इसलिये नही
क्यूंकि 
आज जन्म लिया है आपने
बल्कि 
इसलिये कि 
आपने अपने जन्म लेने को 
सार्थक किया है,...
मानव जन्म लेकर
अपेक्षाओं से 
बचा नही जा सकता,..

आपने पूरा किया
जन्म से अब तक 
सबकी अपेक्षाओं को
कभी पुत्र बनकर
कभी भाई बनकर
कभी पति बनकर
कभी पिता बनकर
रिश्तों के प्रति समर्पण
ईमानदारी और विश्वास
आपको बनाता है विशिष्ट
और सबसे अलग,..

पर इन सब से परे
आपका आपके प्रति भी
एक दायित्व था
खुद में खुद के अस्तित्व को जीवित रखना 
इतना भी आसान नही है,..
तमाम जिम्मेदारियों के बावजूद 
अपने व्यक्तित्व को 
अपनी पसंद के अनूरुप ढाला
अपनी रुचि-अरुचि/सुख दुख के लिये 
व्यस्तता से कुछ पल चुरा कर
मानवता से परिपुर्ण जीवन जिया है आपने,.

इन सब बातों में एक और बात
जो कहनी रह गई थी शेष,.
कोई भी नही है दुनिया में
जिसने बिना संघर्ष के पाया हो सब कुछ,
आपने भी किये है जीवन में बहुत संघर्ष,.
पर आपकी तरह 
कम ही लोग कर पाते हैं ये बलिदान
माला का मोती बनकर चमकना सबको पसन्द होता है
कहां बन पाता है हर कोई वो डोर
जो रखता है अपने होने का अस्तिव छुपाकर भी
अपने अपनो को खुद मे पिरोकर,..

हां!!!!
आज देनी है मुझे बधाई
उस मानव को 
ये याद करते हुए
कि केवल स्त्री ही नही होती जो देती है बलिदान
अपने अपनों के लिये
सृष्टि में पुरुष का अस्तित्व भी उतना ही महत्वपूर्ण है
जितना जन्मदात्री स्त्री का,..
क्यूंकि मानव के जन्मदाता स्त्री-पुरुष दोनों है
लेकिन मानवता को जीवित रखना 
सिर्फ व्यक्ति की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है,..

बधाई आपको आज के दिन आपने मानव जीवन पाया,..
और इसलिये भी बधाई 
मानव बनकर मानवता का हर दायित्व निभाया,..,.. प्रीति सुराना

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