__________
मौन की भाषा
__________
सुनो!!!
मैं
आखिर
पढ़ ही लेती हूं
हर बात,..
तुम्हारे
स्पर्श में प्यार,
मुस्कुराहट में खुशी,
पलकों तले नमी में छुपा दर्द,...
तुम्हारी
हंसी में व्यंग्य,
चमकती आंखों में शरारत,
लरजते होठों में झिझक,..
तुम्हारी
पेशानी की सिकन में परेशानी,
भींचती हुई मुट्ठीयों में बेबसी,
पिसते दांतों में गुस्सा,...
तुम्हारे साथ
जिंदगी के हर इम्तिहान में
सफल होने के लिए
कई कई बार पढ़ा है मैंने,...
तुम्हारे
एहसासों की किताब का
हर पाठ
और हर सवाल-जवाब,....
तब जाकर
सीख पाई हूं
पढ़ना
तुम्हारे मौन की भाषा,...
अब
तुम लाख छुपाओ दिल की बातें,
अपनें मौन में,
मुझे हर सवाल का जवाब आता है,..,...प्रीति सुराना
मौन की भाषा
__________
सुनो!!!
मैं
आखिर
पढ़ ही लेती हूं
हर बात,..
तुम्हारे
स्पर्श में प्यार,
मुस्कुराहट में खुशी,
पलकों तले नमी में छुपा दर्द,...
तुम्हारी
हंसी में व्यंग्य,
चमकती आंखों में शरारत,
लरजते होठों में झिझक,..
तुम्हारी
पेशानी की सिकन में परेशानी,
भींचती हुई मुट्ठीयों में बेबसी,
पिसते दांतों में गुस्सा,...
तुम्हारे साथ
जिंदगी के हर इम्तिहान में
सफल होने के लिए
कई कई बार पढ़ा है मैंने,...
तुम्हारे
एहसासों की किताब का
हर पाठ
और हर सवाल-जवाब,....
तब जाकर
सीख पाई हूं
पढ़ना
तुम्हारे मौन की भाषा,...
अब
तुम लाख छुपाओ दिल की बातें,
अपनें मौन में,
मुझे हर सवाल का जवाब आता है,..,...प्रीति सुराना
बहुत बहुत धन्यवाद
ReplyDeleteमौन बहे सब तोड़,
ReplyDeleteहृदय के तटबन्धों को छोड़
मौन तो मुखर हो कर बोलता है हमेशा .. समझने वाला होना चाहिए ..
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति ...
बहुत बहुत धन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeletethanks
Deleteबहुत संदर मौन के बोल...
ReplyDeleteअद्भुत प्रस्तुति.
thanks
Deleteबहुत सुन्दर शब्द चुने आपने कविताओं के लिए..
ReplyDeleteभावपूर्ण कविता !! आपने कभी ध्यान दिया मौन की भाषा के साथ-साथ एक दिल की भी भाषा होती है>> http://corakagaz.blogspot.in/2013/12/dil-ki-bhasha.html
ReplyDelete