सुनो !!
मेरे पास
तुम्हे देने के लिये कुछ नही है
सिवाय अहसासों के
फिर भी
एक चाह है मन में
एक दिन
मैं तुम्हे अपना सब कुछ देकर
"निःशेष" हो जाऊं,...
मेरे पास
तुम्हे कहने के लिए कुछ नही है
सिवाय प्रेम के
फिर भी
एक चाह है मन में
एक दिन
मैं तुम्हे सबकुछ कहकर
"निःशब्द" हो जाऊं,..
मेरे पास
जब कुछ भी नही हो जो मेरा हो
सिवाय समर्पण के
तब एक चाह है मन में
एक दिन रहना है मुझे ऐेसे
"मैं" रहूं
पर
खुद में "मैं" रह न जाऊं,.....प्रीति सुराना
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें,सादर!!
ReplyDeleteआभार आपका
Deleteबहुत अच्छी कविता.
ReplyDeletehttp://yunhiikabhi.blogspot.com
आभार आपका
Deleteसमर्पण का उत्कृष्ट भाव लिए ... प्रेममयी रचना ...
ReplyDeleteआभार आपका
Deleteआभार आपका
ReplyDeleteआभार आपका
ReplyDeleteअनुपम भाव प्रीति जी
ReplyDeleteaabhar vandana ji
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