Thursday, 9 May 2013

बेईमान:--


सुनो!
मैं खुश हूं
क्यूकि तुम खुश हो
मुझसे दूर रहकर,..
पर 
ये आज 
तुम्हारे चेहरे पर 
चिंता की लकीरें क्यूं है???
तुम
मेरी आंखों की नमी मत देखो
मेरे ये आंसू तो है ही 
बेईमान,...
जो
बेवक्त चले आते है 
और खोल जाते है 
सारे राज मेरे मन के,..
तुम 
सिर्फ 
मेरे होठों की 
मुस्कान देखो ना,.......प्रीति सुराना

4 comments:

  1. आपने लिखा....
    हमने पढ़ा....
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए शनिवार 11/05/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    पर लिंक की जाएगी.
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    लिंक में आपका स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  2. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post'वनफूल'
    latest postअनुभूति : क्षणिकाएं

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  3. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति प्रीति जी,आभार.

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  4. वाह, बहुत खूब

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