जागो हे! नारी
सीधी-सादी या सजी धजी,
अनपढ़ या हो साक्षर नारी,
नाजुक कोमल या परिपक्व,
लगती हो हर रूप में न्यारी,...
पत्नी.बेटी,बहन या जननी,
ब्याहता,विधवा या हो कुंवारी,
गुड़िया,परी या कोई देवी,
सबला,अबला या हो बेचारी,...
तुम्हे लगता है समर्थ नही हो,
क्योंकि तुम हो एक नारी,
जब सक्षम हो जग को गढ़ने में,
फिर कैसी है ये लाचारी,...
छोड़ दो तुम ये लटके झटके,
कर लो अब रण की तैय्यारी,
देख ये विपदा आन पड़ी,
बढ़ गए है जग में अत्याचारी,...
मार गिराना होगा हर दानव को,
नरपिशाच हो या हो दुराचारी,
धरना होगा अब रूप चंडी का,
मानवता हो गई व्यभिचारी,......,जागो हे! नारी,......प्रीति सुराना
छोड़ दो तुम ये लटके झटके,
ReplyDeleteकर लो अब रण की तैय्यारी,
देख ये विपदा आन पड़ी,
बढ़ गए है जग में अत्याचारी,...
मार गिराना होगा हर दानव को,
नरपिशाच हो या हो दुराचारी,
धरना होगा अब रूप चंडी का,
मानवता हो गई व्यभिचारी,......,जागो हे! नारी,
बहुत अच्छा सामयिक आह्वान !
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aabhar
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ReplyDeleteछोड़ दो तुम ये लटके झटके,
कर लो अब रण की तैय्यारी,
देख ये विपदा आन पड़ी,
बढ़ गए है जग में अत्याचारी,...
chetawani deti rachna
utkrasht prastuti
aagrah hai mere blog main bhi
aabhar
Deletebhot khub .........salm nari ko
ReplyDeletedhanywad
Deletebahut sunder abhivyakti.
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