Saturday, 20 April 2013

निर्मम भूख,,....


मुझ अधपके फल से, 
न मिटेगी किसी की 
निर्मम भूख,,....

इसलिए 
मुझे पकने दो,
पककर फटने दो,....

फटकर 
जब बीज गिरेंगे,...
जाने कितने वृक्ष उगेंगे,...

अनगिनत फल 
आएंगे 
जब उन पर,....

सारी सृष्टि को सजाएंगे
और 
सबकी भूख मिटाएंगे,.....

पर 
जरूरी यह है 
कि मैँ कच्चा न रहूँ,....

और 
कोई बचा ले
पकने से पहले टूटने से पहले,...

मुझे भी 
और जग के सारे 
अधपके फलो को भी,..

इस जग की हैवानियत 
और
निर्मम भूख से,.........प्रीति सुराना

7 comments:

  1. बहुत सार्थक पोस्ट ....

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  2. आखरी पंख्तियाँ बहुत अथ पूर्ण है ,छायावाद की छाया है
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  3. समस्या गंभीर है और हम सभी को योगदान करना होगा अपने बच्चियों का भविष्य सुरक्षित करने हेतु. सुंदर प्रस्तुति.

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