मुझ अधपके फल से,
न मिटेगी किसी की
निर्मम भूख,,....
इसलिए
मुझे पकने दो,
पककर फटने दो,....
फटकर
जब बीज गिरेंगे,...
जाने कितने वृक्ष उगेंगे,...
अनगिनत फल
आएंगे
जब उन पर,....
सारी सृष्टि को सजाएंगे
और
सबकी भूख मिटाएंगे,.....
पर
जरूरी यह है
कि मैँ कच्चा न रहूँ,....
और
कोई बचा ले
पकने से पहले टूटने से पहले,...
मुझे भी
और जग के सारे
अधपके फलो को भी,..
इस जग की हैवानियत
और
निर्मम भूख से,.........प्रीति सुराना
बहुत सार्थक पोस्ट ....
ReplyDeletebahut aabhar apka
ReplyDeleteआखरी पंख्तियाँ बहुत अथ पूर्ण है ,छायावाद की छाया है
ReplyDeletelatest post तुम अनन्त
latest post कुत्ते की पूंछ
aabhar
Deleteaabhar
ReplyDeleteसमस्या गंभीर है और हम सभी को योगदान करना होगा अपने बच्चियों का भविष्य सुरक्षित करने हेतु. सुंदर प्रस्तुति.
ReplyDeletedhanywad
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