Friday, 19 April 2013

बेमौसम


बेसबब 
मष्तिस्क मे 
विचारों का घुमड़ना,
बेवजह
दिल में 
आक्रोश की गर्जना,
बेवक्त
मन का 
प्यासा सा तड़पना,
और
बेतहाशा
आंखों से 
आंसुओं का बरसना,
माना
मन का मौसम
ख़राब है,..
पर
इस बिगड़े मौसम को 
किसकी उपमा दूं?????
जेठ-आषाड़
या
सावन-भादो,...
ये मन भी ना,.
आजकल 
मौसम की तरह
बेमौसम ही
रंग बदलता है,......प्रीति सुराना

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