बेसबब
मष्तिस्क मे
विचारों का घुमड़ना,
बेवजह
दिल में
आक्रोश की गर्जना,
बेवक्त
मन का
प्यासा सा तड़पना,
और
बेतहाशा
आंखों से
आंसुओं का बरसना,
माना
मन का मौसम
ख़राब है,..
पर
इस बिगड़े मौसम को
किसकी उपमा दूं?????
जेठ-आषाड़
या
सावन-भादो,...
ये मन भी ना,.
आजकल
मौसम की तरह
बेमौसम ही
रंग बदलता है,......प्रीति सुराना
dhanywad
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeletedhanywad
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
मन तो मन है ....मनमानी तो करेगा न
ReplyDeletethanks
Deleteसार्थक प्रस्तुति ......आभार
ReplyDeletebahut bahut aabhar
ReplyDeletebahut bahut aabhar
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